यह गणेश जी की कथा | ganesh ji ki kahani ||गणेश जी की खीर वाली कहानी
ganesh ji ki kahani नमस्कार दोस्तों आज मैं आप सभी के समक्ष गणेश भगवान की कथा प्रस्तुत कर रही हूं आइए शुरू करते हैं बोलो गणेश भगवान की जय एक गांव में मां बेटी रहते थे एक दिन बेटी अपनी मां से कहने लगी मामा गांव के सभी लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं मैं भी मेला देखने जाऊंगी तब मां ने कहा मेले में तो बहुत भीड़ होगी तुम गिर जाओगी और तुम्हे चोट लग जाएगी परंतु लड़की नहीं मानी ganesh ji ki kahani in hindi
और वह मेला देखने की जिद करने लगी तब माँ ने कहा ठीक है पर ध्यान से जाना अब नाराज मत हो जब वह जाने लगी तब उसकी मां ने उसे दूर लड्डू दिए और 1 घंटे में पानी पिया मां बोली एक लड्डू और थोड़ा सा पानी गणेश जी को दे देना और दूसरा लड्डू और बाकी बचा हुआ पानी तुम पी लेना लड़की लड्डू और पानी लेकर मेले में चली गई शाम होने पर गांव के सभी लोग वापस आ
गए लेकिन लड़की वापस नहीं आई वह मेले में गणेश जी की मूर्ति के पास बैठ गई और कहने लगी कि एक लड्डू और पानी आपके लिए और दूसरा लड्डू और बाकी बचा हुआ पानी मेरे लिए अब आप जल्दी से अपना लड्डू खा लो और पानी पी लो ताकि मैं भी अपना लड्डू और बाकी बचा हुआ पानी पी सकूं इस तरह कहते-कहते पूरी रात बीत गई गणेश भगवान सोचने लगी कि अगर
गणेश जी की व्रत कथा ,ganesh ji ki kahani
मैंने यह एक लड्डू नहीं खाया और पानी नहीं पिया यह लड़की अपने घर नहीं जाएगी इसलिए गणेश भगवान एक छोटे से लड़के के वेश में आ गए और उन्होंने उस लड़की से एक लड्डू कर खा लिया और साथ ही थोड़ा सा पानी भी पी लिया फिर वह कहने लगे तुम्हें जो चाहिए वह मांग लो लड़की सोचने लगी कि क्या मांगू मांगू मांगू या फिर खेत मांगू या महल मांगू या अपने लिए एक अच्छा सा वर
मांग लो मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है वह सोच ही रही थी कि गणेश भगवान उसके मन की बात को जान गए और उन्होंने लड़की से कहा तुम अपने घर जाओ और जो भी तुमने अपने मन में सोचा है वह सब तुम्हें मिल जाएगा फिर वह लड़की अपने घर चली गई जब वह घर पहुंची तो माँ ने पूछा इतनी देर कहां हो गई लड़की बोली आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया मैंने एक
लड्डू और थोड़ा सा पानी गणेश जी को पिला दिया और दूसरा लड्डू और बचा हुआ पानी खुद पी ली उसके इतना कहते ही लड़की ने जो सोचा था वह सब उसे मिल गया गणेश भगवान जैसे आपने उस लड़की और उसकी मां पर कृपा की वैसे ही सब पर कृपा करना कथा अधूरी हो तो पूरी करना पूरी हो तो मान करना बोलो गणेश भगवान की जय यदि आपको गणेश जी की कथा पसंद आई है तो
कमेंट बॉक्स में जय गणेश भगवान लिखना ना भूलें आप सभी का हार्दिक धन्यवाद भैया जय जय जय राया राया जय गणराजा गणपति बप्पा मोरिया
गणेश जी की खीर वाली कहानी
दोस्तों हम आप के लिए गणेश जी महाराज और उनकी खीर की कहानी लेकर आए हैं एक समय की बात है गणेश जी महाराज ने पृथ्वी पर मनुष्यों की परीक्षा लेने का विचार किया पृथ्वी भ्रमण के लिए गणेश जी ने एक बालक का रूप बनाया और अपने एक हाथ में चम्मच में दूध ले लिया और दूसरे हाथ में एक चुटकी चावल ले लिए और गली-गली घूमने लगे साथ ही साथ आवास लगाते जा रहे थे चावल और दूध से मेरी खीर बना दो कोई इन चावल और दूध से मेरी खीर बना दो गांव में कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा था
और सभी हंस रहे थे ना समझ बालक चम्मच भर दूध और एक चुटकी चावल की खीर भी भला बन सकती है ऐसे ही गणेश जी एक गांव से दूसरे गांव घूमते रहे लेकिन कोई भी उनकी खीर बनाने को तैयार नहीं हुआ ऐसे ही सुबह से शाम हो गई
कोई मेरी खीर बना दो कोई मेरी हीर बना दो अब गणेश जी ने सोचा कोई भी मेरी खीर नहीं बना रहा अब मैं क्या करूं तभी वहां एक बुढ़िया अपनी झोपड़ी के बाहर बैठी थी वह गणेश जी को देख कर बोली बेटा la तेरी खीर का सामान मुझे दे दे मैं तेरी ही बनाती हूं गणेश जी बोले माई तुम्हारे घर में जो सबसे बड़ा बर्तन हो वह खीर बनाने के लिए ले आओ बुड्ढी अम्मा ने सोचा बच्चे का मन रखने के लिए सबसे बड़ा
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गणेश जी की कहानी हिंदी में लिखी हुई
बर्तन ले आती हूं बुढ़िया माई घर का सबसे बड़ा बर्तन लेकर बाहर आई गणेश जी ने चम्मच से दूध और छुटकी पर चावल डालना शुरू किया तब बुढ़िया माई के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही यह क्या चमत्कार है कुछ समझ नहीं आ रहा देखते-देखते पतीला दूध से भर गया बुढ़िया माई ने उस पतीले को चूल्हे पर चढ़ाकर खीर बनाना शुरू कर दिया तब गणेश जी बोले माय तो फिर बनाओ मैं स्नान करके आता हूं मैं वापस आकर खीर खा लूंगा बुड्ढी माई बोली बेटा इतनी ढेर सारी कि मैं क्या करूंगी
तब बालक गणेश बोलो माई सारे गांव को खीर खाने का न्योता दे दो बुड्ढी माई बोली ठीक है मैं पूरे गांव को कह देती हूं गुड्डी माई की खीर की खुशबू धीरे-धीरे पूरे गांव में फैलने लगी बुड्ढी अम्मा ने घर-घर जाकर खीर खान का न्योता दे दिया आज मेरे घर खीर का प्रसाद बना है आप चखने आना पड़ोसी ने बोली अम्मा इतने लोगों को खीर कहां से खिलाओगे लो उस पर हंसने लगे बुढ़िया के घर में खाने को तो दाना नहीं है और सारे गांव को खीर खिलाने की बात कर रही है चलो चल कर देखते हैं बुड्ढी माई कौन सी चीज खिलाने वाली है धीरे-धीरे लोग बुड्ढी माई के घर आने लगे देखते ही देखते गांव इकट्ठा हो गया जब
बुड्ढी माई की बहू को इस दावत की बात पता चली तो वह रसोई में पहुंची और फिर से भरा पतीला देख कर उसके मुंह में पानी आ गया और वह सोचने लगी इस पतीले की खीत सारे गांव में बांटी तो मेरे लिए कुछ भी नहीं बचेगा ऐसा सोच कर बुड्ढी अम्मा की बहू ने एक कटोरी में खीर निकाली और दरवाजे के पीछे बैठकर खीर खाने की तैयारी करने लगी और खाने से पहले बोली गणपति जी स्वीकार करें ऐसा कहकर खीर खाने लगी बड़ी अम्मा के बहू के लगाए इस भोग से गणेश जी प्रसन्न हो गए
जब बाल गणेश स्नान करके वापस आए तो बुड्ढी अम्मा बोली बेटा तुम स्नान करके आ गए आओ तो मैं खीर पड़ोस दू तब बाल गणेश बोले माई मेरा पेट दुखे से भर गया अब तुम खीर खा लो अपने परिवार को खिलाओ और सारे गांव को भी खिलाओ तब गुड्डी माई पूछने लगी बेटा तुमने यह खीर कब खाई गणेश जी महाराज भूले जब तुम्हारी बहू ने रसोई घर के दरवाजे के पीछे बैठकर मुझे भूख लगाया था मैंने खीर खा ली तब बुड्ढी अम्मा समझ गई यह जरूर गणेश जी महाराज है वह हाथ जोड़कर उनके आगे खड़ी हो गई गणेश जी महाराज भूले बुड्ढी माई तुम भी खीर खाओ अपने परिवार को खिलाओ पूरे गांव को खीर खिलाओ और उसके बाद बची हुई खीर को चार पतिलो में रखकर अपने
घर के चार कोनों में रख देना अब बुड्ढी माई ने पूरे गांव को खीर खिलाई और बची हुई थी बर्तनों में करके अपने घर के चारों कोनों में रख दी और सो गई जब वे सुबह उठी तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं थी है
गजानन भगवान यह में क्या देख रही हूं पतिलो में खीर के स्थान पर हीरे मोती और जवाहरात भरे हैं हे विघ्नहर्ता आपने मुझ पर बड़ी कृपा करी है बुड्ढी माई को अपनी दयालुता का फल प्राप्त हुआ उसकी सारी दरिद्रता दूर हो गई
गणेश जी महाराज जैसी कृपा आपने बुड्ढी अम्मा पर करें वैसे ही इस कहानी को कहते सुनते और हुंकार धरती सब पर करिएगा जय गणेश जी महाराज
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